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अनोखे ये रिश्ते

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बड़े अनोखे होते हैं ये रिश्ते।
कभी कोई कहानी कहते हैं रिश्ते।
कभी खुद ही एक कहानी बन जाते हैं रिश्ते।
कभी दिल में टीस बनकर उठते हैं रिश्ते।
कभी सुबह की पहली किरण बन फूटते हैं रिश्ते।
कभी शीशे की तरह दिल तोड़ते हैं रिश्ते।
कभी टूटे दिलों को जोड़ देते हैं रिश्ते।
कभी बहुत बड़ी उलझन बन जाते हैं रिश्ते।
कभी इन उलझनों को ही सुलझाते हैं रिश्ते।
कभी सुरीले शंख का नाद करते हैं रिश्ते।
कभी कोई दर्द भरा तान भी छेड़ते हैं रिश्ते।
कभी दुख तो कभी सुख देते हैं रिश्ते।
कभी पनपते तो कभी दम ही तोड़ देते हैं रिश्ते।
कभी जीवन देते तो कभी जीवन ही छीन लेते हैं रिश्ते।
कभी फूलों की बौछार करते हैं रिश्ते।
कभी राह में कांटे बन बिछते हैं रिश्ते।
कभी जीवन में रंग भरते हैं रिश्ते।
कभी जीवन से रंग ही छीन लेते हैं रिश्ते।
पल में बनते, पल में बिगड़ते हैं रिश्ते।
कभी टूटते कभी बिखरते हैं रिश्ते।
न जाने कब कौन सा मोड़ ले लें ये रिश्ते।
ईश्वर ही जाने इन अनोखे रिश्तों के किस्से।
हम इंसा नादान, रिश्तों के भंवर में रहते फंसते।
इन रिश्तों के बड़े हैं टेढे़-मेढ़े रस्ते।

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