expressions
- 27 Posts
- 33 Comments
ये जिन्दगी न जाने कितने रंग दिखाती है।
कभी इधर गिराती तो उधर उठाती है।
आंसू भरती कभी दामन में,
कभी खुषियां बरसाती है।
दर्द दे कर खुद ही मरहम लगाती है।
कांटा चुभो कर पैर में
संभल कर चलना सिखलाती है,
अनुभवों के गहनों से सज संवर कर
बन नगीना चमक जाती है
जिन्दगी न जाने कितने रंग दिखाती है।
कभी इधर गिराती तो उधर उठाती है।
Read Comments