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जीवन रक्षक बन गये भक्षक
आरुषी के मां बाप को अपनी बेटी के मर्डर के जुर्म में सजा हो गयी। वाकई यह बहुत दुखद है कि बच्चे को दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करने वाले, उसके सबसे बड़े रक्षक, उसके मां-बाप ही उसके हत्यारे बन गये। कहा जा रहा था कि आरुषी ने गलत काम किया था, जो किसी के मां-बाप को नागवार गुजरेगा।लेकिन उस 14 साल की बच्ची को सही गलत की क्या समझ। उसे समझाना, सही गलत का फर्क समझाना क्या मंा-बाप का फर्ज नहीं था। हां गुस्से में उसे थप्पड़ मार देना, डांट देना तो ठीक है लेकिन जान लेना , ये सरासर गलत है। अपनी नासमझी, नादानी से कोई किसी भी उम्र में गलत कदम उठा सकता हैं पर उसे समझा कर सही रास्ते पर लाया जा सकता है और आरुषी तो 14 साल की बच्ची थी। यह भी हो सकता है कि आरुषी हेमराज के बहकावे में आ गई हो,या वह उसका शोषण कर रहा हो, उसे डरा धमका रहा हो । उन लोगों की उम्र में भी काफी फर्क था। वह 14 साल की बच्ची और हेमराज 40 साल का प्रौढ़। आजकल आये दिन रेप और यौन शोषण के मामले प्रकाश में आ रहे हैं कि किस तरह कई दिनों,सालों तक बच्चियों, महिलाओं के साथ व्यभिचार किया गया है लेकिन वे डर या लोक लाज के चलते अपनी पीड़ा बयान नहीं कर पायीं।यदि वह जानबूझकर भी गलत काम कर रही थी तो मेरे ख्याल से उसकी उम्र इतनी नहीं थी कि वो सही गलत का फैसला कर सके।उसे जो समझाया जायेगा वह वही समझेगी।जैसे कि उसने अपने पिता को भेजे गये ई-मेल में लिखा था कि मेरी सहेलियां बताती हैं कि यह गलत नहीं है।अब पता नहीं आगे क्या हुआ?पिता तेा पिता, मां, वह कैसे अपनी बेटी को मार सकती है या उसका मर्डर करने वाले उसके पिता का साथ दे सकती है।मां तो अपनी बेटी के लिये खुद जान दे देने या दूसरे की जान ले लेने को उतारु हो जाती है।पता नहंी क्या सच्चाई है??????????? क्येांकि अपने मुंह से उन दोनों से आरुषी के मर्डर की बात नहीं कबूल की है।लेकिन सबूत तो यही बोलते हैं कि आरुषी के मां-बाप ही कातिल है।वाकई ये दुनिया, दुनिया के खेल, रिश्ते और उनके जस्बात और सब के प्रपंच शायद ही कोई समझ पाये।
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