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राजनीति का स्तर नीचे गिरता ही जा रहा है। आये दिन कोई न कोई नेता एक दूसरे के खिलाफ कुछ टिपण्णी करता है। बड़े -बड़े नेता तक अपने को व अपनी पार्टी को अच्छा दिखाने के लिये एक दूसरे के लिये बेहूदा बातें करतें हैं, बुराई करते हैं, उन पर आरोप लगाते हैं। ये बताने में ही पूरा समय गुजारते हैं कि दूसरे ने क्या नहीं किया। जबकि इन नेताओं को किसी के द्वारा किये गये कार्यों को न देखकर उसे क्या विकास करना है और उसने क्या देश के लिये किया है, इस बात पर चर्चा करे तो बात समझ में भी आये। लेकिन यह अपनी मर्यादा भूलकर एक दूसरे पर आरोप लगाने में ही पूरा समय गुजार देते हैं। एक दूसरे की बुराई करने से पहले अपने गिराबां में झांककर उन्हें देखना चाहिये। यदि कोई नेता वाकई में जनता की भलाई के लिये कुछ काम करना चाहता है तो उसे अपनी योजना जनता को बताना चाहिये कि वह जनता के लिये क्या और कैसे करेगा? कोई अपने प्रतिद्वन्दी के खिलाफ ज्यादा बोलने में तभी जोर लगाता है जब उसके पास जनता को देने के लिये और जनता से अपनी बात कहने के लिये कुछ नहीं होता है। इसलिये नेताओं को दूसरे ने क्या किया, और क्या करेगें इस पर ध्यान न देकर वह देश व जनता के लिये क्या करेंगें इस पर ध्यान देना चाहिये ।
अपनी गिराबां में भी झांकिये नेता जी,
आप क्या करेंगे ये तो बतायें,
घोटालों का तोहफा देगें या कोई काम भी करायेंगे।
पानी घरों में हमारे आयेगा कि नहीं,
बिजली की किल्लत होगी भी कभी सही
भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी
या इसकी गाड़ी और रफतार पकड़ेगी।
सिर्फ जातियों का दामन थामेंगे,
या सम्पूर्ण देश का ख्याल भी रखेगे।ं
दूसरे ने क्या किया ये छोडं,़े
े क्या विकास करेगें, ये बोलें।
आपके आने पर सत्ता में
बेटियां क्या खुशी मनायें?
खुश हो, पटाखे छुड़ाये
आजादी से, आन्नद से घूम सकें
यह आश्वासन दें, तो फिर हम झूमें।,
सो पायेगें चैन से हम अपने घरों में,
अमन शांत होगी हमारी दरों पे।
अपने घरों में हम रहेगें चैन से,
ये पक्का वादा करें हमसे।
तो हम आपको वोट जरुर देग,ें कसम से।
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