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बड़े नेताओं व नौकर शाहों को चारा घोटाले में सजा मिलने से आखिरकार यह सिद्व हो ही गया कि सच की आखिर जीत होती है।यह अलग बात है कि साढ़े नौ सौ करोड़ रुपये के चारा घोटाले में अभी मात्र सैंतीस करोड़ पर न्यायिक निर्णय आया। इसमें बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित अनेक माननीय भी चार से पांच वर्ष के लिये जेल चले गये। जगन्नाथ मिश्र के मुख्यमंत्रित्व काल में शुरु हुआ यह चारा घोटाला लालू प्रसाद यादव के शासन में खूब फला फूला। लालू प्रसाद यादव उपेक्षितों और किसानों के पक्ष में अक्सर बातें करते थे। गरीब व उपेक्षित वर्ग यादव जी के इस विचार से काफी प्रभावित हुआ और इन्हें अपार जनसमर्थन दिया।लेकिन इसका इन्होनें काफी लाभ लिया । बेजुबान पशुओं का चारे का पैसा डकार गये। बिहार में कर्इ स्थान सूखे से प्रभावित रहते हैं, पशुओं की उचित देखभाल नहीं हो पाती, उन्हें उचित चारा नहीं दिया जाता, जिससे वे अनुत्पादक बने रहते हैं। इसका सीधा प्रभाव किसानों पर उसके बाद पूरे देश पर पड़ता है।हालांकि चारा घोटाले में दोषियों को सजा मिली है लेकिन अभी इसके एक अंश पर फैसला बाकी है। अभी चारा घोटाले के कुछ पक्ष उजागर होने व दोषियों को सजा होने पर इतने साल लग गये तो बाकी आरोपों के फैसले आने में न जाने कितने साल लगे।यही न्याय में देरी बहुत भारी पड़ती है। तब तक ये दागी नेता अपने फायदे के कर्इ नियम कानून बना चुके होते हैं और घोटालों के पैसों से भरपूर आनन्द भी ले चुके होत हैं।इसलिये इन नेताओं पर लगने वाले आरोपों के लिये फास्ट ट्रैक अदालतें होनी चाहिये।
By : Noopur Srivastava
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