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हिंदी ब्ल‚गिंग ‘हिंगिलश स्वरूप को अपना रही है। क्या यह हिंदी के वास्तविक रंग-ढंग को बिगाड़ेगा या इससे हिंदी को व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी?

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ब्लाग षिरोमणि प्रतियोगिता
कान्टेस्ट
हिंदी ब्ल‚गिंग ‘हिंगिलश स्वरूप को अपना रही है। क्या यह हिंदी के वास्तविक रंग-ढंग को बिगाड़ेगा या इससे हिंदी को व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी?

हिन्दी ब्लागिंग हिग्इंलिश का स्वरुप अपना रही है। लोग हिन्दी को अंग्रेजी लिपि में लिखते हैं। यह हिन्दी के वास्तविक रंग ढ़ंग को बिगाड़ेगा ही। क्योंकि हिन्दी ब्लागिंग हम हम अंग्रेजी लिपि में ही कर रहे हैं। हमें हिन्दी भाषा का इस्तेमाल हर क्षेत्र में बढ़ाना है चाहे वह लेखन, पाठन कुछ भी हो। हिन्दी लिपि में ही लिखने पर जोर होना चाहिये। इसके अलावा यदि हिन्दी में हम इंटरनेट पर कुछ डालना चाहते हैं, ढूंढना चाहते हैं, जैसे सेासल साइट या ब्लाग या अन्य तो उसके लिये अनेक फाेंंट उपलब्ध तो हैं पर उसके लिये अंग्रेजी का ज्ञान भी आवश्यक है, हमें अंगे्रजी लिपि में टाइप करना पड़ता है, तब वह हिन्दी में बदलता है, यदि हमें अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है, वह सोसल साइट पर भी हिन्दी लिख नहीं ंपायेगा । इसलिये यह सिथति सुधरनी चाहिये ।हम हिन्दी लिपि में ही टाइप करें और उसे पोस्ट करें , ऐसी सुविधा होनी चाहिये। इंटरनेट पर हिन्दी में सामग्री उपलब्ध कराने के लिये प्रयास किये जाने चाहिये।अभी हिन्दी में जो सामग्री है , उसमें बहुत अशुद्वियां होती हैं।
हमारे देश में अंग्रेजी इतनी रच – बस गर्इ है कि उसे अंग्रेजी से अलग करना कठिन है, पर नामुमकिन नहीं । स्कूलों, कालेजों में हिन्दी में ही पढ़ाने व लिखाने पर जोर देना चाहिये। जिन बच्चों को हिन्दी में कुछ शब्द समझ नहीं आते उन्हें सरल करके बता दे, पर अंग्रेजी में लिखने पर जोर न दें। जो बच्चे हिन्दी माध्यम के हैं, उन्हें उपेक्षा की दृषिट से न देखें। ज्यादातर लोग इसलिये भी हिग्लिंश अपनाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है शुद्व हिन्दी लिखने पर उन्हें पाठक नहीं मिलेंगें। हां कुछ हद तक सही भी है। इसलिये ब्लागरों को सरल, बोलचाल की भाषा में लिखना चाहिये। लेकिन हिग्लिांश नहीं अपनाना चाहिये।हमारे देश में भले ही अंग्रेजी का बोलबाला हो पर उसे समझने वाले कम और हिन्दी समझने वाले लोग बहुत हैं।
हिगिलंश से हिन्दी भाषा की पहचान खोती ही है। हमारी नर्इ पीढ़ी को हिन्दी के कर्इ अर्थ ही नहीं मालूम होते हैं वे अंग्रेजी के कछ शब्दों को ही हिन्दी समझते हैं जैसे- कप, पेन आदि। कप को बहुत कम लोग प्याला और पेन को कलम कहते होंगे। बच्चों से कहो कि बेटा कलम ले आओ। तेा वे इसका मतलब पूछेंगें।यह सही है कि अंग्रेजी का प्रयोग एकदम से छोड़ना बहुत मुशिकल है लेकिन हमें शुरुआत तो करनी ही पड़ेगी।हमें अपनी युवा पीढ़ी को हिन्दी भाषा का महत्व समझाना होगा। किसी देश की भाषा का महत्व लार्ड मैकाले की इस बात से समझा जा सकता है, ‘किसी देश की संस्कृति को नष्ट करना है, कमजोर करना है तो उस देश की भाषा पर प्रहार करो।’ इसलिये अंग्रेज प्रत्यक्ष रुप से हमारे देश से चले तो गये लेकिन अपनी भाषा अंग्रेजी को इस कदर हमारे देश में बसा दिया कि सारा देश अंग्रेजी भाषा को अपनाने को ही अपना सम्मान मान लिया। हम अंग्रेजो की अंग्रेजी भाषा के गुलाम तो हो ही गये और भी बड़े गर्व के साथ इस बात को स्वीकार भी करते हैं कि हमें हिन्दी अच्छे से नहीं आती हां अंग्रेजी बहुत अच्छी आती है।
किसी दूसरी भाषा को सीखने में कोर्इ बुरार्इ नहीं है पर वह अपनी भाषा का तिरस्कार करके नहीं होना चाहिये। हमें अपनी हिन्दी भाषा पर गर्व करना चाहिये। इसके उन्नति के लिये हमें एकजुट हो प्रयास करना चाहिये तभाी हिन्दी दिवस मनाने की सार्थकता है।
नूपुर श्रीवास्तव

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